Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संत की कलम से: कुंभ सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व- महंत निर्मल दास महाराज

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Wed, 06 Jan 2021 11:43 AM (IST)

    कुंभ मेला सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है जो भारतीय संस्कृति की छटा को विश्व पटल पर एक अनोखे रूप में संजोता है। मेले के दौरान देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु भक्त पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर अपने जीवन को भवसागर से पार लगाते हैं।

    Hero Image
    [महंत निर्मल दास महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन(फेरूपुर शाखा)]

    Haridwar Kumbh 2021 कुंभ मेला सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है, जो भारतीय संस्कृति की छटा को विश्व पटल पर एक अनोखे रूप में संजोता है। मेले के दौरान देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु भक्त पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर अपने जीवन को भवसागर से पार लगाते हैं। 12 वर्ष के लंबे समय के बाद में कुंभ मेले का आयोजन होता है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संत महापुरुषों के साथ ही श्रद्धालु भक्त भी कुंभ के आयोजन का इंतजार करते हैं। अनादि काल से नागा सन्यासी कुंभ मेले के दौरान सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए सभी को अपनी और आकर्षित करते हैं। प्राचीन काल से विदेशी  भी भारतीय संस्कृति से आकर्षित होकर इसे अपना रहे हैं। 

    कुंभ मेले के दौरान शाही स्नान करने से व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है और सहस्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। उत्तराखंड संतों की तपस्थली है। कुंभ मेले में विद्वान और तपस्वी संतों के दर्शन का लाभ श्रद्धालु भक्तों के साथ-साथ स्थानीय जनता को भी मिलता है। कुंभ मेला पूरे विश्व में एकता और अखंडता को कायम रखता है।

    पृथ्वी लोक पर चार जगह पर कुंभ का आयोजन होता है, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा मान्यता प्रयागराज और हरिद्वार कुंभ की होती है। हरिद्वार कुंभ में गंगा घाटों की सुंदरता और अलौकिक छटा देखते ही बनती है। धर्म और अध्यात्म की गंगा यहां दिन-रात बहती रहती है और कुंभ में आने वाले श्रद्धालु उसमें हर वक्त गोते लगाते रहते हैं। हर चारों ओर गंगा और कुंभ का महामात्य बिखरा रहता है। कुंभ का आयोजन न सिर्फ धर्म अध्यात्म को बढ़ावा देता है, बल्कि आयोजन स्थल और उसके आसपास के क्षेत्रों में विकास की गंगा भी बहाता है। 

    [कारोबारी महंत निर्मल दास महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन(फेरूपुर शाखा)] 

    यह भी पढ़ें- संत की कलम से: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है कुंभ- श्रीमहंत रविंद्रपुरी